कश्मीर जो मेरी कल्पना में है । एक दहसद का राज्य जहाँ अभी भी आजादी नहीं है हिन्दुओं को बोलने की और मुस्लिमों को आतंकी हमलों देश को बर्बाद करने और सब्सिडी पर पूर्ण अधिकार है । कश्मीर ही क्या ? पूरे देश के हालात ऐसे हैं । भाई मैं मानवता की बात करता हूँ लेकिन कब तक ? लेकिन मेरे लिए मानवता सर्वोपरि होगा । मैं हर रोज उस स्वर्ग को गुंडागर्दी का अड्डा बनता देखता हूँ न्यूज में , अख़बारों में । कब तक मेरे देश के नौजवान आतंकवादी बनते रहेंगे । और कब तक Burhan Muzaffar Wani जैसे लोग देश को बर्बाद करते रहेंगे । मैं ये भी नहीं कहता कि देश को तोड़ने का काम केवल मुस्लमान करते हैं वो कई हिन्दू भी हैं लेकिन उनको सुनने वाला कौन है ...? हिंदुओं के पास अपना विवेक होता है ना कि एक फ़तवे को आँख मूद कर मान लें । और मुझे अचम्भा होता है लोग बिना सोचे समझे उसके पीछे पीछे चलते हैं और दूसरों को मारने तक में नहीं चूकते मैंने कभी कुरान पढ़ी नहीं लेकिन मुहम्मद साहब ने ये तो कहीं नहीं लिखा होगा कि दूसरों को मार कर जन्नत मिलेगी .. मैं किसी के धर्म की अवहेलना नहीं कर रहा हूँ ..। और ना ही मेरा ऐसा मन है । लोग कहते हैं
मेरे अनुभव एवं इस समाज की स्थिति का वर्णन किया गया है ।