कैसे कहूँ ? मेरे बदलाव का कारण तुम हो ,
तुम मानोगी नहीं लेकिन तुम हो ।
घन्टों निहारता रहता हूँ आयने में खुद को ,
सजता हूँ सवरता हूँ जिसका कारण तुम हो ।।
मेरे ख्वाबों का कारण भी तुम हो ,
मैं सोया रहना चाहता हूँ ...
क्योंकि हम को ख्वाबों में कोई अलग नहीं कर सकता है ...
शायद तुम भी नहीं मैं भी नहीं ...।।
ये प्रेम ही है शायद या कुछ और क्या कहती हो ..?
मुझे तो नहीं पता बस हृदय उत्सव मना रहा है ...।
मैं लय चाहता हूँ ..
बस तुम मैं ..
तुम क्या कहती हो ?
चन्द्रप्रकाश बहुगुना /माणिक्य /पंकज
सम्पर्क सूत्र संख्या -+९१७५०३७७२८७१
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