खग विहग करते गुण गान , शिष्य रखते गुरु का मान .. हमने पूजा तुझको वेद पुराण , स्वार्थ हित के लिए निकला नया नीति विज्ञान ।। उन्मूलन के लिए बन गए भाषा विज्ञान , क्यों मिलते हैं कुछ मृत अवशेष .. तुझ बिन क्या है औरों में विशेष , क्या नहीं था इसके पास ... क्या रही होगी हम को इससे आस , लेकिन तुझ से कौन नहीं चिरपरिचिय ।। हर घर में होता गुण गान .. हर साहित्य में होता मान ... फिर क्यों नहीं करते तेरा सजीव गान , क्यों वेद , पुराण उनिषद, षड्दर्शन में है मान .. लेकिन तुझ से कौन नहीं चिरपरिचित ।।
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