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आधुनिक प्रेम

आज नीतू का brithday था .. नीतू कौन ?
भाई वर्तमान में जो मेरी सखी है ...। आप जैसे पढ़े लिखे लोगों की भाषा में girlfriend ...
टेवल के उस छोर में बैठी नीतू आज मुझे कुछ ज्यादा ही अच्छी लग रही थी लगे भी क्यों ना भाई मैंने जो रेड टॉप दिलाया था पिछले हफ़्ते वो ही उस ने पहना था और उस ने जो सेन्ट लगया था वो मुझे मदहोश ही कर रहा था ..। मन तो था उस के हाथों में हाथ रखूं लेकिन अगले पल ख्याल आया कि भाई कहीं लाफा मार दिया तो कॉलेज में क्या मुँह दिखायेगा ...?
लेकिन भगवन ने मेरे मन को पढ़ लिया था शायद ... उस ने सरकाते हुए हाथ मेरे हाथों पर रख लिए ... और बोली क्या हुआ चंदर ...?
आज कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो ...?
मैं कुछ लडखडाती आवाज़ में बोला ... कुछ ..... नहीं ...।
तभी पीछे से घोड़े की नाल जैसे आवाज मेरे कानों में गूँजी आवाज कुछ जानी पहचानी थी ... । तभी जिस का नाम मेरे दिमाग़ में आया वो मेरी पिछली सखी थी ...। अभी भी दिल के किसी कोने में उस के लिए स्थान था क्योंकि बहुत समय तक साथ रहे थे उस का असर तो होगा ही ...और जिन दिनों वो छोड कर गई थी उन दिनों में रोया भी कम नहीं रात - रात भर जाग कर रोया ... चलो छोड़ो ... उसका नाम सुधा था जिसे मैं अब भी भूलने का प्रयास करता था ..।
नीतू के पास आ आकर ना जाने सुधा ने क्या कहा ..।
कुछ फुसफुसाने की सी आवाज सुनाई दी ।
और फिर मेरी तरफ मंद मुस्कुराते हुए सुधा चली गई ।
नीतू क्यों क्या हुआ ??
सुधा क्या कह रही थी ??
नीतू बोली - कुछ नहीं बस हमारी पर्सनल बातें हैं ।
मैं कुछ समय कुछ नहीं बोला .. ।
बस डर गया था क्योंकि मैं नीतू को नहीं खो सकता था ..।
मुझे प्रेम उस के सौंदर्य ने नहीं मन और उस के भावों से हुआ था ।फिर नीतू ने अपना हाथ उठा कर मेरे हाथ में रखा दिया और धीरे से बोली - बस तुम्हारे बारे में कह रही थी कि सही लड़का नहीं है , जो मुझे धोखा दे सकता है तुम्हें भी बस ।
लेकिन चंदर मुझे पता है और तुम्हें पिछले चार साल से जानती हूँ .. ।
हाँ वो बात अलग है हमारी व्यक्तिगत पहचान कुछेक महीने पहले ही हुई है , लेकिन मैं भी दिल्ली की लड़की हूँ किसी पर यूँ ही विश्वास तो नहीं कर सकती हूँ ना ...।
हाँ लेकिन ...।
तुम कुछ मत बोलो मुझे सब पता है सुधा को तुम ने छुआ तक नहीं है । मैं तुम्हें नहीं जानती क्या ??
और वो अब जिस के साथ घूमती है उस भी जानती हूँ . विवेक नाम है उसका ।
एक समय मुझे लाइन मारा करता था एक दिन जब सुनाया तब से लाइन में आया। बस अपने मतलब के लिए लव सव में फसती है । लेकिन मुझे ताज्जुब है तुम कैसे फस गए ?
लेकिन मैं तुम पर खुद से अधिक विश्वास करती हूँ क्योंकि
तुम चाहते तो अपनी लव स्टोरी छुपा भी सकते थे या झूठ भी बोल सकते थे ।
लेकिन तुम ने मुझे पहले ही सच बताया ..।
और रही बात धोखे की तो वो तुम दे नहीं सकते ..।
मैं रो पड़ा । बस इतना विश्वास काफी था मेरे लिए .।
मेरे प्रेम के लिए ..।
नीतू ने एक माँ की तरह मेरा सर सहलाया और बोली .क्यों चंदर इतनी सी बात में रो पड़े ?
मैं लड़की हूँ मैं नहीं रोई बस चुप हो जाओ अब ।
बस रोने दो मुझे । मैं इंसान हूँ उस के उद्गार निकल जाने दो ।
बस कुछ देर फबक फबक कर रोया और फिर चुप हो गया ।
कुछ दिल में ठंडाक पड़ी । और सुधा के ऊपर गुस्सा भी आ रहा था कि मैंने क्या धोखा दिया ??
लेकिन नीतू की बातों से दिल रोमांचित भी था ।
लास्ट ईयर के पेपर होने थे विषय एक होने से नीतू और मैं एक साथ तैयारियां करते  । लाइब्रेरी में साथ में पढ़ते , क्लास में एक साथ होते ।जब लाइब्रेरी में मैं पढ़ कर थक जाता तो बस नीतू की एक मुस्कान मुझे नई ऊर्जा प्रदान करती ।
बस यूँ ही दिन कट जाते थे । पेपर हो गए अच्छे से बसन्त का आखरी सप्ताह तक । अब रोज रोज का मिलना नहीं जानकर मैं दुःखी था । बैठा था पर्क के एक कौन में आँखों में आंसू ,  काँपते हुए होंठ , हृदय गति तेज , मन विचलित .।
तभी पीछे से एक आवाज सुनाई दी .....
चंदर यहाँ क्या कर रहे हो ?
सरे दोस्त अंदर हैं तुम अकेले क्या कर रहे हो ..? कहाँ कहाँ नहीं ढूढ़ा तुम्हें फिर मंजु ने कहा कि चंदर पर्क के कोने में बैठा है ।
हाँ नीतू बस कुछ घबराहट हो रही थी सोचा यहाँ आ कर बैठ जाऊ ।
चंदर झूठ क्यों बोलते हो तुम । तुम आँखों के आँसु पोछ सकते हो मुख और हृदय के भाव नहीं ।
बस मेरी आँखें छलक उठी ..। बस करो यार ..! क्या हो गया तुम्हें ?
मैं रोता हुआ बोला कुछ नहीं ।
बस कल से नहीं मिलेंगे ना तुम और मैं इस लिए ..।
अरे पगले क्यों नहीं मिलेंगे ?
आ जाया करेंगे कभी कभी ...। तुम भी ना दुल्हन की तरह रोते हो ...।
अब हँस दो ..।
बस ऐसे ही दोस्तों से मिला ...। अब अलविदा कहने की बारी थी मैं अंदर से रो ही रहा था लेकिन नीतू को परेसान नहीं करना चाहता था बस आँसू हृदय में समेटे बोला चलो कभी मुझे भी याद कर लेना नीतू ! नीतू ने हाथोँ का इशारा कर गले मिलने को कहा .. । बस बिछुड़न की पीड़ा दिल में थी ।
मैट्रो में रोका रहा आसुओं को जो अपने कमरे में आया .. बस रोता रहा ..। 6 बजे से 9 बजे तक जब फोन की रिंग बजी ..।
हाँ हैलो नीतू ....
हाँ चंदर तुम अभी भी रो रहे थे ?
नहीं नहीं बस टीवी देख रहा हूँ उस से आवाज़ आई होगी रोने की ...।
चलो ठीक है तुम को पता है cgl के फॉर्म निकले हैं भर दो ...।
हाँ ठीक है नीतू थैंक्यू ..।
चलो ठीक है बाय ...
कुछ समय बीत गया यूँ ही ।
ना मैंने फॉर्म भरा और ना ही तैयारियाँ की ..।
बस नीतू जब भी पूछती क्या कर रहे हो ?
मैं कहता बस तैयारी कर रहा हूँ ।
कुछ ही टाइम में CGL का पेपर हुआ .। नीतू परीक्षा में उत्तीर्ण हुई ..। साक्षात्कार के लिए चुनी गई ...।
मैं खुस था ..। अब परिणाम घोषित हुए ..। उसे भारतीय कर विभाग में नौकरी भी मिल गई । एक दिन फोन आया .. हैलो चंदर कैसे हो ?
ठीक हूँ बस ....।
और तुम को पता है मुझे नौकरी मिल गई ..?
हाँ मुझे पता है तुम ने फेसबुक में शेयर जो किया था ।
ओह्ह्ह हाँ ..।
और तुम्हारा क्या हुआ ??
क्या कर रहे हो आज कल ??
बस कुछ नहीं ।
नीतू बोली अभी ssc के फिर फॉर्म निकले हैं फिर भर दो ...।
हाँ ठीक है भरता हूँ इस बार ..।
और तुम्हें पता है मैं मुम्बई में जॉब करुँगी ?
ओह्ह बहुत अच्छा ..। बधाई हो ..।
चलो बाय मैं फिर बात करती हूँ ।।
बाय बाय ...

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