हम सब बस अपना भला चाहने वाले हैं देश का भला चाहने वाले चंद लोग हैं ,
जापान से इजराइल से हमें देश प्रेम सीखने की जरूरत है ।
किसी से कुछ सीखना बेईमानी कहाँ की हुई ? खुद को हीरो समझने वाले तथाकथिक ज्ञानी इसे देश की बेइज्जती कहते हैं ..। ( जापान में अगर सरकारी बस की सीट भी फट गई तो उसे सीने ( सिलने ) के लिए लोग उतावले रहते हैं ये केवल बस सीट की ही बात नहीं है अन्य चीजों में भी वहीं स्थिति है । और भारत में सरकारी चीजों का केवल दुरुपयोग ही होता है आप भारतीय रेल ही ले लीजिए । खुद की कमी बताना या उसे दूर करना कोई मूर्खता नहीं , वहीं इजराइल के लोग चाहे कहीं भी रहें वो अपने ही देश की तरक्की के विषय में सोचते हैं , और इससे विपरीत हमारे देश के कुछ तथाकथित बुद्धि जीवी अपने ही देश के टुकडे करने की सोचते हैं , देश के लोग आरक्षण की मांग के लिए सरकारी और निजी वस्तुओं का केवल दोहन करने में लगे रहते हैं ) किसी से कुछ अच्छा अपनाना मेरी दृष्टि में बुरा तो नहीं है , जब हम पश्चिमी देशों की फूहड़ता अपना सकते हैं , निकृष्ट भोजन पद्धति अपना सकते हैं तो अच्छा क्यों नहीं ...?
लिखकों कवियों को राजनीति से दूर रहना चाहिए , ( क्योंकि या तो आप भक्त होंगे या अभक्त दोनों सही नहीं है , आप तटस्थ रहिये )
माणिक्य बहुगुणा
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